करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले की जांच की फाइल अटकी
मुख्य सचिव कार्यालय में लंबित है जांच, खुलासा हुआ तो नपेंगे बड़े अधिकारी
तावडू। नूंह जिले की ग्राम पंचायत विस्सर अकबरपुर में भू-माफियाओं द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत कर बड़े पैमाने पर करोड़ो रुपये की बेशकीमती भूमि हथियाने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब एक और नया मामला 50 एकड़ से अधिक पंचायत शामलात भूमि को नियमों की अनदेखी कर मालिकाना हक देने का सामने आया है। जिसकी जांच मुख्य सचिव कार्यालय में लंवति है। यह जांच आगे बढ़ी तो हरियाणा सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर इसकी गाज गिरना तय माना जा रहा है। शिकायत के बाद संलिप्त अधिकारियों में खलबली मची हुई है।
करोड़ों रुपये की भूमि से जुड़े इस भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता तस्बीर शर्मा निवासी गुरुग्राम ने बताया कि 2017-18 में नूंह के तत्कालीन उपायुक्त ने जमीन के नाम पर उनके साथ 51 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया। उपायुक्त ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक अन्य भू-माफिया से मिलीभगत कर ग्राम पंचायत बिस्सर अकबरपुर की 50 एकड़ से अधिक पंचायत भूमि का गलत तरीके से अपने सगे संबधियों को मालिकाना हक देकर उसकी एवज में करोड़ों रुपये ऐंठ बड़ा भ्रष्टाचार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन उपायुक्त ने अपने रिश्तेदार और एक बड़े
सरकार से अनुमति के लिए पत्राचार किया हुआ है
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधीक्षक चंद्रमोहन ने बताया कि भूमि से जुड़े भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद गहनता से जांच की गई थी। वरिष्ठ अधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के लिए सरकार से अनुमति के लिए पत्राचार किया हुआ है। स्वीकृति मिलने के बाद शीघ्र ही नियमानुसार आगामी कार्रवाई की जाएगी। बता दें गुरुग्रार्मा क सीमा के साथ लगते इस गांव में भूमि के दाम करोड़ों में है। ऐसे में भूमाफियाओं की नजर यहां पर पहले से ही थी जिसको लेकर प्रशासन या तो बेखबर है या जानबूझकर मौन है। जबकि जागरूक ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन सम्बंधित गैर मारूसी भूमि के मालिकाना हक को लेकर निष्पक्ष जांच करें तो बड़ी-बड़ी मछलियों के नाम उजागर होंगे। इस गांव के तीन चार किलोमीटर के दायरे में ही आईटीसी होटल, सुरजीवन रिजॉर्ट, कंट्री क्लब रिजॉर्ट, कामधेनु गोदाम सहित बड़ी संख्या में आलीशान फार्म हाउस बने हुए हैं। गांव बिस्सर अकचरपुर के ग्रामीणों का कहना है कि 2017 में जब सरकार के एक नियम अनुसार इस प्रकार की की भूमि में में कास्तकारी के लिए मालिकना हक देने का नियम लागू हुआ तो भृष्ट अधिकारियों ने बंदरबांट का खेल शुरू कर दिया। संवाद
माफिया की हिस्सेदारी रखते हुए अपने माता- पिता के नाम पर एक कंपनी भी पंजीकृत कराई थी। जब फर्जीवाड़े को लेकर तत्कालीन उपायुक्त से रुपये वापस मांगे तो उन्होंने रुपये देने से मना कर दिया और डराया धमकाया। शिकायतकर्ता तस्वीर शर्मा का कहना है कि करोड़ों रुपये के इस भ्रष्टाचार को लेकर गुरुग्राम अदालत सहित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गुरुग्राम में लिखित शिकायत देकर आरोपियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की है। शिकायत मिलने के बाद निरीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गुरुग्राम द्वारा तथ्य व साक्ष्यों के आधार पर जांच की गई। जांच के दौरान भ्रष्टाचार मिलने पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गुरुग्राम कार्यालय द्वारा मामले की रिपोर्ट तैयार कर पत्र क्रमांक न. 6686/एसीबी/जीजीएम दिनांक 14 दिसंबर 2023 को महानिदेशक
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पंचकूला को
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत स्वीकृति के लिए भेजा गया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो गुरुग्राम कार्यालय का पत्र मिलने के बाद महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पंचकूला की ओर से दिनांक 18 दिसंबर 2023 को पत्र क्रमांक न. 20106 एसीबी (एच) मुख्य सचिव हरियाणा सरकार व विजिलेंस विभाग चंडीगढ़ को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत स्वीकृति के लिए भेजा गया, लेकिन लगभग तीन महीने बीत जा बाद इस मामले में 14/20 सरकार कार्यालय द्वारा अभा तफ स्वी नहीं दी गई। शिकायकर्ता का कहना है कि अब शिकायत वापस लेने का दबाव बनाकर धमकियां दी जा रही है।
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